1857 ईसवी की क्रांति: विभिन्न दृष्टिकोण
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राष्ट्रीय आंदोलन 1857 की क्रांति प्रतिरोध और विद्रोह राज्य निर्माण विचारों की अभिव्यक्तिAbstract
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में 1857 ईसवी के क्रांति एक युगांतकारी घटना मानी जाती है जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों के विरुद्ध विरोध का प्रदर्शन भारतीय जनता द्वारा एकजुट होकर प्रदर्शित होता है। लंबे समय से चली आ रही भारतीयों में असंतोष की भावना सरकार के विरुद्ध उभर कर आई। विषय प्रस्तुतीः राज्य का निर्माण भावनाओं, वफादारी, आत्महित और बल से होता है लेकिन तकनीकी और भौतिक परिवर्तन निर्णयकारी होते हैं किंतु उनका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि लोग स्वयं को एवं अपने सम्मिलित होने के क्षमता को किस प्रकार परिभाषित करते हैं। राष्ट्र विकसित होते हैं न केवल पूंजीवाद के तर्क से बल्कि प्रतिरोध विद्रोह एवं कानून से, जो विचारों और अनुभवों की अभिव्यक्ति है।
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