भीष्म साहनी और दूधनाथ सिंह के उपन्यासों में राजनीतिक दलों की समाजशास्त्रीय भूमिका
Keywords:
विश्लेषणात्मक नौकरशाही सहभाविताAbstract
समाज का दर्पण साहित्य और उसका एक कोना ‘राजनीतिक’ सदैव अध्ययन, मनन और चिन्तन सहित आलोचन-समीक्षा आदि जुड़ा रहेगा ׀ समाज के सभी पक्ष साहित्य हेतु अति आवश्यक होते है׀ किसी भी साहित्य की प्रष्ठ्भूमि के निर्माण मे राजनितिक दृष्टिकोण की महती आवयश्कता है׀ राजनीतिक समाजशास्त्र में राजनीति और समाज दोनों का विवेय्च्यात्मक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है ׀ दोनों एक दुसरे के संग है׀ भारत देश में राजनीति से ही लगभग कार्य होते है जिसका सम्बन्ध समाज से है ׀ राजनीति क्षेत्र से समाजशास्त्र के क्षेत्रों को समझने में मदद मिलती है ׀ समाज में नेता लोग, नेत्तर्व्य समाज, नौकरशाही सेवक,सहभागिता दल और उसके स्वरूपों आदि का अध्ययन मुख्य बिंदु है ׀ राजनीतिक समाजशास्त्रीय अध्ययन समाज के मुख्य बिन्दुयो का वरण करता है ׀ आज़ के युग में दलों का स्वरूप अति विशालकाय बनता जा रहा है और भविष्य में अनेकों दलों का निर्माण भी होगा मैक्सवेबर ने राजनीतिक को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, “राजनीति का आशय शक्ति विभाजन के प्रयास अथवा राज्यों या राज्यों के अंतर्गत समूहों में शक्ति के वितरण को प्रभावित करने प्रयास को मन है लेकिन वर्तमान समाजशास्त्री राजनीति का प्रयोग परम्सेपरागतदरस दृष्टिकोण से हटकर करते है और इसे ओपचारिक राजनीतिक संस्त्थाओं का अध्ययन मात्र नही मानकर समस्त् अवलोकनीय को व्यव्ह्हार इनमे सम्ममलि करते है ׀“
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