हिन्दी भाषा में सार्वजनिक भाषण एवं नेतृत्व
Keywords:
मुख मुद्राएँ, प्रभावशाली, उत्कृष्ट, संवेदनशीलता, शब्दार्थAbstract
भाषण कला का अर्थ केवल हाथ हिलाने, मुख मुद्राएँ बनाने या ऊँची आवाज़ में बोलने से नहीं है। यह अपने विचारों को कलात्मक और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता है। यह आत्मविश्वास के साथ नपे-तुले शब्दों में अपने भावों को व्यक्त करने की दक्षता है। भाषण कला व्यक्ति को सामाजिक, राजनीतिक और व्यावसायिक संदेशों को प्रभावी रूप से साझा करने में मदद करती है और भाषण देने वाले के व्यक्तित्व और संवेदनशीलता को भी प्रकट करती है। एक उत्कृष्ट भाषण के लिए शारीरिक भाषा, वाणी की संवेदनशीलता, शब्दार्थ, उच्चारण और विचारों की संरचना आदि सभी पहलुओं का समन्वय आवश्यक है।
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