सल्तनत कालीन हरियाणा में कुटीर उद्योगों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान (1206 से 1526 ईसवी)
Keywords:
स्वास्थ्य, हरियाणा, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा सेवाएंAbstract
मध्यकालीन हरियाणा, विशेषतः सल्तनत काल में, एक समृद्ध कृषि प्रधान क्षेत्र था जहाँ कृषि के साथ-साथ कुटीर उद्योगों ने भी स्थानीय और राज्यीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा नील, गुड़, हथकरघा, चर्मकार्य, लकड़ी, नमक, नौसादर, शोरा, घी, बर्तन व ईंट-पत्थर उद्योग जैसे विविध कुटीर उद्योगों का संचालन किया जाता था। इन उद्योगों में जातीय विविधता और श्रमिक वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिनकी सामाजिक स्थिति भले ही निम्न थी, परंतु आर्थिक योगदान अत्यंत मूल्यवान था। गांवों से कस्बों तक फैले ये उद्योग न केवल स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करते थे। इस युग में गांवों और कस्बों का परस्पर संबंध और कृषि के साथ शिल्प की एकीकृत अर्थव्यवस्था, हरियाणा के सामाजिक व आर्थिक ढांचे की रीढ़ रही। इस अध्ययन में इन सभी कुटीर उद्योगों की ऐतिहासिक व सामाजिक भूमिका का विश्लेषण किया गया है
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